Thursday 8 June 2023

Yaduvanshi

भगवान् विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए। ब्रह्माजी के मानस पुत्रों में से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से पुरूरवा का जन्म हुआ। पुरूरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष के छः पुत्रों याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति तथा कृति उत्पन्न हुए। नहुष ने स्वर्ग पर भी राज किया था। नहुष के पुत्र ययाति, ययाति के पुत्रों में से एक यदु हैं जिनके वंशज वर्तमान के यादव (यदुवंशी) हैं।

ययाति के पांच पुत्र थें- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुह्मु। ययाति के बाद इन पांचों ने संपूर्ण धरती पर राज किया और अपने कुल का दूर-दूर तक विस्तार किया। आगे चलकर ये ही वंश यादव, तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और पौरव कहलाए। ऋग्वेद में इन्हीं को पंचकृष्टय: कहा गया है।

यदु के चार पुत्र थें- सहस्त्रजित, क्रोष्टा, नल और रिपुं। सहस्त्रजित से शतजित का जन्म हुआ। शतजित के तीन पुत्र थें- महाहय, वेणुहय और हैहय। हैहय से धर्म, धर्म से नेत्र, नेत्र से कुन्ति, कुन्ति से सोहंजि, सोहंजि से महिष्मान और महिष्मान से भद्रसेन का जन्म हुआ।

भद्रसेन के दो पुत्र थें- दुर्मद और धनक। धनक के चार पुत्र हुए- कृतवीर्य, कृताग्नि, कृतवर्मा व कृतौजा। कृतवीर्य का पुत्र अर्जुन था। अर्जुन ख्यातिप्राप्त एकछत्र सम्राट था। वह सातों द्वीप का एकछत्र सम्राट था। उसे कार्तवीर्य अर्जुन और सहस्त्रबाहु अर्जुन कहते थें।

सहस्त्रबाहु अर्जुन के पांच पुत्र ही जीवित रहे। बचे हुए पुत्रों के नाम थे- जयध्वज, शूरसेन, वृषभ, मधु, और ऊर्जित।

जयध्वज के पुत्र का नाम था तालजंघ। तालजंघ के सौ पुत्र हुए। वे 'तालजंघ' नामक क्षत्रिय कहलाए। महर्षि और्व की शक्ति से राजा सगर ने उनका संहार कर डाला। उन सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था वीतिहोत्र। वीतिहोत्र का पुत्र मधु हुआ।

मधु के सौ पुत्र थें। उनमें सबसे बड़ा था वृष्णि छोटा परीक्षित। इन्हीं मधु, वृष्णि और यदु के कारण यह वंश माधव, वार्ष्णेय और यादव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

यदुनन्दन क्रोष्टु के पुत्र का नाम था वृजिनवान। वृजिनवान का पुत्र श्वाहि, श्वाहि का रूशेकु, रूशेकु का चित्ररथ और चित्ररथ के पुत्र का नाम था शशबिन्दु। शशविंदु चक्रवर्ती और युद्ध में अजेय था।

शशविंदु के कई पत्नियां थीं। उसके पुत्रों में पृथुश्रवा आदि छ: पुत्र प्रधान थे। पृथुश्रवा के पुत्र का नाम था धर्म। धर्म का पुत्र उशना हुआ। उशना का पुत्र हुआ रूचक।

रूचक के पांच पुत्र हुए, उनके नाम थें- पुरूजित, रूक्म, रूक्मेषु, पृथु और ज्यामघ। ज्यामघ से विदर्भ का जन्म हुआ।

सहस्त्रबाहु अर्जुन के पांच पुत्रों में से उक्त वंश जयध्वज और मथ के थे। शूरसेन, वृषभ, और ऊर्जित के भी वंश आगे चले।

शूरसेन की पीढ़ी में ही वासुदेव और कुंति का जन्म हुआ। कुंति तो पांडु की पत्नी बनी जबकि वासुदेव से कृष्ण का जन्म हुआ। कृष्ण से प्रद्युम्न का और प्रद्युम्न से अनिरुद्ध का जन्म हुआ।

प्रद्युम्न के पुत्र तथा कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी के रूप में उषा की ख्याति है। अनिरुद्ध की पत्नी उषा शोणितपुर के राजा वाणासुर की कन्या थी। अनिरुद्ध और उषा की प्रेम कहानी जग प्रसिद्ध है। भारतीय साहित्य में कदाचित यह एक अनोखी प्रेम-कथा है जिसमें एक प्रेमिका स्त्री द्वारा पुरुष का हरण वर्णित है।

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