Monday 24 December 2018

Rahul Yadav









झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम 
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम 



ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
बचपन की जवानी....
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..


       

बचपन में तो....
शामें भी हुआ करती थी 
अब तो बस सुबह के बाद 
रात हो जाती है...!! 

             


Rahul Yadav Azamgarh
rahulyaadav.blogspot.com 

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