झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
बचपन की जवानी....
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
बचपन की जवानी....
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..
बचपन में तो....
शामें भी हुआ करती थी
अब तो बस सुबह के बाद
रात हो जाती है...!!
Rahul Yadav Azamgarh
rahulyaadav.blogspot.com
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