एक सैनिक के जीवन, उसकी भावनाओ को बेहद मार्मिकता से बया करती ये पंक्तियाँ
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हम दोनों घर से निकले थें
अट्ठारह की उमर मे,
तुमने JEE पास किया
मै चुना गया सेना के लिए,
तुम पहुंचे आईआईटी
मै पहुँचा एनडीए ।
तुम अपनी डीग्री लेने मे जुटे थे
और मै एक बेहद कठिन ट्रेनिंग मे,
तुम्हारा दिन शुरू होता सुबह के 7 से
और शाम के 5 पर खत्म हो जाता ,
मेरा सुबह के 4 से रात 9 तक
और कई बार पूरी-पूरी रात भी ।
तुम्हारा दीक्षांत समारोह हुआ
और मेरी पासिंग आउट परेड ,
सर्वश्रेष्ठ कम्पनी ने तुम्हे चुना
और दिया शानदार पैकेज,
मुझे मिला आदेश पलटन मे जाने का
कन्धे पर सजे 2 सितारों** के साथ
तुम्हे नौकरी मिली, मुझे जीने का रास्ता ।
हर शाम को तुम्हे परिवार का साथ मिला
और मै अपने दिल में संजोता रहा
मां-पिताजी से जल्दी ही मिलने की तमन्ना
तुमने त्योहार मनाए रोशनी & संगीत के साथ
मैने अपने साथियों के साथ बंकर में ।
हम दोनों परिणय सूत्र मे बधे
तुम हर रोज पत्नी के आंखो के आगे रहे
मेरी पत्नी की बस एक तमन्ना, मै जिंदा रहूं
तुम्हे बिजनेस ट्रिप पर भेजा जाता
और मुझे नियंत्रण रेखा पर ।
हम दोनों घर लौटे
दोनो की पत्निया रोक न पाई आंसू
तुमने उसके आंसू पोंछे
पर मै न पोंछ सका
तुमने उसे गले लगाया
पर मै न लगा सका
मै ताबूत मे लेटा था
मेरे छाती पर मेडल थें और
ताबूत तिरंगे मे लिपटा था ।
मेरे जीवन की राह
अपनी मंजिल को पहुँची
और तुम्हारी चलती रही ,
हम दोनो घर से निकले थे
अट्ठारह की उमर मे ।।
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